एक विश्व हे,,, हम भी एक हे। प्रकृति ने हमे बनाया है उस प्रकृति को सता रहे है प्राणी ने अधर्म अपनाया है,,, प्रदूषण ,,पर्यावरण क्र रहे,, पेड़ पौधों को काट रहे,,,, उनका जीवन ख़त्म हो रहा। भविष्य,,,,, हमारा भी संकट में आया है कहि कारखाने चलें अंधाधुंध,, कई लोगों ने,,,, प्रकृति को भी झुकाया हे,,,, खुद की मौज में डूब गए हो प्रकृती को सरमाया हे,,, एक दिन ऐसा आएगा तुम धुड़ोगे आसमान को बो,,नजर कही न आयेगा फिर रोयोगे, चिल्लाओगे कहि नजर न आयेगी,,, कहोगे प्रकृति ने हमे ठुकराया हे विश्व के सभी नागरिक बंधुओ प्रकृति को भी ,,,जीने का अदिकार दें एवं जिंदगी में उसका कभी प्रदूषण ना फैलाएं,,, प्रकृती सुधारने एवं संजो क्र रखना हमारा कर्त्तव्य है धन्यवाद